गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

फणीश्वरनाथ रेणु के कोशी आँचल की स्थिति।

कोशी अंचल, बिहार का एक पिछड़ा लेकिन जनसंख्या के लिहाज से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिले शामिल हैं। इस क्षेत्र की कुल आबादी लगभग 1.75 करोड़ के आसपास है। यह अंचल बाढ़, बेरोजगारी, पलायन और खराब आधारभूत संरचना जैसी समस्याओं से वर्षों से जूझ रहा है। संतुलित पोषण की स्थिति काफी चिंताजनक है। खासकर बच्चों और महिलाओं में कुपोषण, एनीमिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं व्यापक रूप से देखी जाती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बेहद खराब है, गंभीर रोगियों के इलाज के लिए स्थानीय स्तर पर पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, जिससे मरीजों को पटना, सिलीगुड़ी या बाहर के शहरों में ले जाना पड़ता है, जो गरीब परिवारों के लिए काफी महंगा और कठिन होता है।

ऐसे हालात में कोशी अंचल में एक बड़ा सरकारी अस्पताल या AIIMS जैसी सुपर स्पेशलिटी स्वास्थ्य सेवा की स्थापना अत्यंत आवश्यक है। आर्थिक रूप से यह क्षेत्र कमजोर है, अधिकांश लोग खेती या मजदूरी पर निर्भर हैं, और बड़ी संख्या में लोग जीविका के लिए पलायन करते हैं। शिक्षा, उद्योग और आधुनिक संसाधनों की भारी कमी है, जिससे यहां की जनसंख्या विकास की मुख्यधारा से पिछड़ गई है। भारत सरकार को चाहिए कि वह कोशी अंचल को विशेष पिछड़ा क्षेत्र घोषित करके यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक समर्पित योजना बनाए। इसके अलावा, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत भारत के अमीर उद्योगपतियों को भी इस क्षेत्र में निवेश और सहायता के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। वर्तमान में, बड़े दानी उद्योगपतियों की नजर इस क्षेत्र पर खासतौर से नहीं है, जो कि चिंता का विषय है। कोशी अंचल के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर ठोस और दीर्घकालिक पहल करनी चाहिए।

अगर आप चाहें तो मैं इस पूरी जानकारी को सुंदर और संगठित PDF दस्तावेज़ में भी बना सकता हूँ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

क्रोध का शरीर में असर

क्रोध (Anger) के समय हमारे मस्तिष्क और शरीर में कुछ प्रमुख रसायन (Neurochemicals और Hormones) रिलीज़ होते हैं, जो तुरंत शारीरिक और मानसिक प...