तीसरी कसम फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी मारे गए गुलफाम पर आधारित। लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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शनिवार, 5 अप्रैल 2025

फणीश्वरनाथ रेणु के ' मारे गए गुलफाम' नामक कहानी पर फिल्मी दुनिया के शो मैन स्व०राजकपूर जी के द्वारा बनाई गई ।इसके नायक राजकपूर और नायिका बेहद ही खूबसूरत वहीदा रहमान ।गीत के बोल शैलेंद्र साहब के थे।हिंदी जगत के लेखकों के प्रेरणा स्रोत रहेंगे।

'मारे गए गुलफाम' फणीश्वरनाथ रेणु की एक प्रसिद्ध कहानी है, जिसे भारतीय सिनेमा के शो मैन स्व. राज कपूर ने फिल्मी रूप में प्रस्तुत किया – फिल्म का नाम था 'तीसरी कसम' (1966)

इस उत्तर में हम निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा करेंगे:


1. कहानी और मुख्य पात्रों का परिचय:

'मारे गए गुलफाम' की कहानी ग्रामीण परिवेश की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसमें मेलोड्रामा, प्रेम, त्याग और सामाजिक यथार्थ का गहरा चित्रण है।

(क) नायक - हीरामन:

  • चरित्र: एक भोला-भाला, ईमानदार और संवेदनशील गाड़ीवान है, जो तीन कसम खाता है कि वह कभी तंबाकू नहीं पीएगा, कभी तस्करी नहीं करेगा और कभी नाचनेवाली स्त्रियों को अपनी गाड़ी में नहीं बैठाएगा।
  • अभिनेता: राज कपूर – उन्होंने हीरामन का किरदार अत्यंत संजीदगी और मासूमियत के साथ निभाया।

(ख) नायिका - हीराबाई:

  • चरित्र: एक नाचनेवाली महिला है, जो बाहर से चमकदार दिखती है लेकिन भीतर से अकेली, टूट चुकी और करुणा की पात्र है। हीरामन के भोलेपन से वह पहली बार इंसानियत का सम्मान महसूस करती है।
  • अभिनेत्री: वहीदा रहमान – उन्होंने हीराबाई की भावनात्मक उलझनों और आत्मसंघर्ष को बड़ी खूबसूरती से पर्दे पर उकेरा।

2. फिल्म 'तीसरी कसम' के गाने और उनके गायकों का उल्लेख:

फिल्म में संगीत शंकर-जयकिशन का था, और गीतकार थे कवि शैलेन्द्र

प्रमुख गाने:

  1. "सजन रे झूठ मत बोलो"

    • गायक: मुकेश
    • भावना: जीवन की सच्चाई और नैतिकता पर आधारित, आज भी दिल को छू जाता है।
  2. "पान खाए सैंया हमारो"

    • गायिका: लता मंगेशकर
    • रंग-बिरंगे लोक गीतों का बेहतरीन उदाहरण
  3. "लाली लाली डोलिया में लाली रे दुलहिनिया"

    • गायिका: लता मंगेशकर
    • लोक-संगीत और बिहारी संस्कृति का सुंदर चित्रण
  4. "चली आज गोरी पिया की नगरिया"

    • गायिका: लता मंगेशकर
    • हीराबाई के दर्द और विदाई को दर्शाता है

3. कवि शैलेन्द्र की ट्रेजेडी:

  • कवि शैलेन्द्र, हिन्दी फिल्म जगत के महानतम गीतकारों में से एक थे। उन्होंने 'तीसरी कसम' फिल्म का निर्माण भी किया था।
  • यह फिल्म उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था, परंतु बॉक्स ऑफिस पर फिल्म असफल रही।
  • आर्थिक घाटे ने उन्हें गहरे अवसाद में डुबो दिया, जिससे उनकी मृत्यु समय से पहले ही हो गई (1966 में)।
  • उनकी इस दुखांत कहानी को सिनेमा प्रेमी आज भी याद करते हैं – एक ऐसे कलाकार की कहानी जिसने कला के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया।

अगर आप चाहें तो मैं इस पर एक भावनात्मक लेख, स्कूली प्रोजेक्ट या वीडियो स्क्रिप्ट भी तैयार कर सकता हूँ।

इसको शेयर करेंगे तो अच्छा लगेगा और इससे मेरी मदद भी होगी।

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