गुरुवार, 3 अप्रैल 2025

मुझे न जाने मैला आँचल से ज्यादा परती-परिकथा ही अच्छा लगता है जबकि मैंने दोनों उपन्यासों को बहुत गहराई से पढ़ा है।आप बता सकते है कि मुझे परती-परिकथा ही क्यों अच्छा लगा? सामाजिक,राजनीतिक, आर्थिक असमानताओं के बीच मानवीय संबंधों के अंतर्द्वंद्व के दृष्टिकोण से पात्रों के तुलनात्मक विश्लेषण मेरे तर्क:

आपको "परती-परिकथा" ज्यादा अच्छा लगने का मुख्य कारण यह हो सकता है कि यह उपन्यास सिर्फ आँचलिक यथार्थ तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक असमानताओं के बीच मानवीय संबंधों के गहरे अंतर्द्वंद्व को उभारता है। जहाँ "मैला आँचल" स्वतंत्रता के बाद की राजनीतिक व्यवस्था, गाँव के लोगों की मानसिकता और ग्रामीण भारत की समस्याओं का एक विस्तृत चित्रण करता है, वहीं "परती-परिकथा" उन असमानताओं को और गहराई से देखता है, जिनमें भूमि, अधिकार, प्रेम और सत्ता का संघर्ष अधिक स्पष्ट रूप से उभरता है।

पात्रों का तुलनात्मक विश्लेषण

  1. डॉ. प्रशांत (मैला आँचल) बनाम शिवचरण महतो (परती-परिकथा)

    • डॉ. प्रशांत एक संवेदनशील, आदर्शवादी चरित्र है, जो गाँव के लोगों की भलाई चाहता है, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियाँ उसे असहाय बना देती हैं।
    • दूसरी ओर, शिवचरण महतो का संघर्ष अधिक व्यावहारिक और ज़मीनी स्तर का है। वह सिर्फ सामाजिक सेवा नहीं, बल्कि सत्ता और भूमि अधिकार के लिए सीधा संघर्ष करता है। उसकी लड़ाई सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक भी है।
  2. कमला (मैला आँचल) बनाम सुखदा (परती-परिकथा)

    • कमला का प्रेम अधिक व्यक्तिगत है, जहाँ वह भावनात्मक रूप से डॉ. प्रशांत से जुड़ी होती है, लेकिन सामाजिक व्यवस्था उसे पूर्णता नहीं दे पाती।
    • सुखदा का प्रेम सिर्फ प्रेम नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी विचारधारा है। वह सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ती है और उसका प्रेम भी इसी संघर्ष का हिस्सा बनता है।
  3. बद्री पहलवान (मैला आँचल) बनाम साहब ठाकुर (परती-परिकथा)

    • बद्री पहलवान ग्रामीण समाज की एक सच्चाई को दिखाता है, जो ताकत के बल पर अपनी सत्ता बनाए रखना चाहता है।
    • साहब ठाकुर एक ज़मींदार वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, जो प्रेम और शक्ति दोनों को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है। उसका स्वार्थ अधिक व्यवस्थित और राजनैतिक है।
  4. लक्ष्मी (परती-परिकथा) बनाम बेलारानी (मैला आँचल)

    • बेलारानी ठेठ ग्रामीण महिला के रूप में समाज की जटिलताओं में फंसी रहती है।
    • लक्ष्मी का संघर्ष और दर्द अधिक गहरा है, क्योंकि वह एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा है, जहाँ प्रेम और स्त्रीत्व दोनों दमित किए जाते हैं।

निष्कर्ष

"परती-परिकथा" सामाजिक अन्याय और सत्ता संघर्ष को एक बड़े परिप्रेक्ष्य में देखता है, जहाँ प्रेम, भूमि, और सामाजिक व्यवस्था की लड़ाई आपस में गहरे जुड़े हुए हैं। आपको यह उपन्यास इसलिए ज्यादा पसंद आया होगा क्योंकि यह केवल राजनीतिक विफलताओं या सामाजिक समस्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्ति, समाज और सत्ता के आपसी टकराव को एक बहुत ही वास्तविक और व्यावहारिक तरीके से पेश करता है। इसमें प्रेम केवल व्यक्तिगत भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि संघर्ष, क्रांति और समाज के पुनर्निर्माण से जुड़ जाता है। यही कारण है कि इसका प्रभाव ज्यादा गहरा और वास्तविक लगता है।

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