बुधवार, 2 अप्रैल 2025

डॉ जोसेफ मर्फी द्वारा रचित "अवचेतन मन की शक्ति" का भारतीय तंत्र -मंत्र के साथ तारतम्यता का विस्तार पूर्वक वर्णन करें।

डॉ. जोसेफ मर्फी की पुस्तक "अवचेतन मन की शक्ति" (The Power of Your Subconscious Mind) आत्म-सुधार और मनोवैज्ञानिक आध्यात्मिकता पर आधारित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो यह समझाने का प्रयास करता है कि कैसे हमारा अवचेतन मन हमारे विचारों और विश्वासों के आधार पर वास्तविकता को आकार देता है। यदि हम इस पुस्तक की शिक्षाओं को भारतीय तंत्र-मंत्र और आध्यात्मिकता के संदर्भ में देखें, तो कई समानताएँ और गहरे संबंध स्पष्ट होते हैं।

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1. अवचेतन मन और भारतीय तंत्र-मंत्र का संबंध

भारतीय तंत्र-मंत्र और योग शास्त्र में यह मान्यता है कि मनुष्य की चेतना तीन भागों में विभाजित होती है—

  • चेतन मन (Conscious Mind) – जो जाग्रत अवस्था में विचार करता है।
  • अवचेतन मन (Subconscious Mind) – जो गहरे विश्वास, आदतों और संस्कारों का भंडार है।
  • अतिचेतन मन (Superconscious Mind) – जो दिव्य ऊर्जा और ब्रह्माण्डीय शक्ति से जुड़ा होता है।

डॉ. मर्फी की अवधारणाओं को यदि भारतीय तंत्र के साथ जोड़ें, तो हमें यह ज्ञात होता है कि तंत्र-मार्ग में ध्यान, मंत्र-जप और साधना के माध्यम से अवचेतन मन को पुनःप्रोग्राम किया जाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में इच्छित बदलाव ला सकता है।


2. मंत्र-जप और अवचेतन मन

डॉ. मर्फी कहते हैं कि सकारात्मक पुष्टि (Affirmations) और कल्पना (Visualization) से अवचेतन मन को प्रभावित किया जा सकता है। भारतीय तंत्र में इसका समान रूप मंत्र-जप और ध्यान-साधना में मिलता है। उदाहरण के लिए—

  • गायत्री मंत्र – "ॐ भूर्भुवः स्वः..." का जप करने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
  • महामृत्युंजय मंत्र – "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे..." का जप नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  • श्रीं मंत्र (महालक्ष्मी मंत्र) – धन और समृद्धि आकर्षित करता है।

डॉ. मर्फी का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति निरंतर किसी विचार को दोहराए (Affirmations), तो वह विचार अवचेतन मन में स्थापित हो जाता है और वास्तविकता बन जाता है। इसी प्रकार, भारतीय तंत्र कहता है कि जब कोई व्यक्ति किसी मंत्र का लगातार जप करता है, तो वह मंत्र उसके चित्त में गहराई से समा जाता है और ऊर्जा के रूप में प्रकट होता है।


3. ध्यान-साधना और अवचेतन मन का प्रोग्रामिंग

भारतीय तंत्र में ध्यान (Meditation) का बहुत बड़ा महत्व है। ध्यान का मुख्य उद्देश्य अवचेतन मन की शक्ति को जागृत करना और उसे नियंत्रित करना है।

डॉ. मर्फी ने भी अपनी पुस्तक में ध्यान और विज़ुअलाइज़ेशन (Visualization) की शक्ति को बहुत महत्वपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति हर दिन शांत होकर यह कल्पना करे कि उसकी इच्छाएँ पूरी हो रही हैं, तो वह धीरे-धीरे सच होने लगती हैं।

तंत्र शास्त्रों में कहा गया है कि जब व्यक्ति अपने मन को एक विशेष लक्ष्य पर केंद्रित करता है (ध्यान), तो वह ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है। योग और तंत्र में त्राटक साधना, कुंडलिनी जागरण, और मंत्र साधना अवचेतन मन को सक्रिय करने के लिए ही की जाती है।


4. संकल्प शक्ति और कर्म सिद्धांत

डॉ. मर्फी कहते हैं कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं होता है। यदि वह सकारात्मक विचारों से अपने अवचेतन मन को प्रोग्राम करे, तो उसका भविष्य वैसा ही बनेगा।

यही बात भारतीय तंत्र-शास्त्र और वेदों में भी कही गई है। भारतीय दर्शन के अनुसार—

  • "यद्भावं तद्भवति" – जैसा सोचोगे, वैसा ही होगा।
  • "संकल्प सिद्धिः" – यदि संकल्प दृढ़ हो, तो असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं।
  • कर्म सिद्धांत – अच्छे कर्म और विचार अच्छे परिणाम लाते हैं।

तंत्र-मंत्र में भी यही कहा गया है कि यदि व्यक्ति किसी मंत्र, यंत्र या ध्यान साधना को पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ करे, तो उसका अवचेतन मन शक्तिशाली हो जाता है और इच्छित परिणाम मिलने लगते हैं।


5. कुंडलिनी जागरण और अवचेतन मन

भारतीय योग और तंत्र साधना में कुंडलिनी शक्ति का बड़ा महत्व है। यह शक्ति मूलाधार चक्र (Root Chakra) में सुप्त अवस्था में रहती है और साधना द्वारा इसे जाग्रत किया जाता है।

डॉ. मर्फी की अवधारणाओं के अनुसार—

  • अवचेतन मन में असीमित शक्ति है, जो यदि जागृत हो जाए, तो व्यक्ति कुछ भी हासिल कर सकता है।
  • भारतीय योगियों का कहना है कि जब कुंडलिनी शक्ति जाग्रत होती है, तो व्यक्ति में अलौकिक शक्तियाँ विकसित होने लगती हैं।
  • दोनों ही दृष्टिकोण यह बताते हैं कि मनुष्य के अंदर ही अपार ऊर्जा और शक्ति है, जिसे साधना द्वारा सक्रिय किया जा सकता है

निष्कर्षhttps://amzn.to/4hUkepS

डॉ. जोसेफ मर्फी की अवधारणाएँ भारतीय तंत्र-मंत्र, योग और ध्यान से पूरी तरह मेल खाती हैं। उनका मुख्य संदेश यह है कि आपका अवचेतन मन बहुत शक्तिशाली है, और यदि आप इसे सही तरीके से प्रोग्राम करें, तो चमत्कार कर सकते हैं। यही बात भारतीय तंत्र-मार्ग में भी कही गई है—

  • मंत्र-जप अवचेतन को प्रभावित करता है।
  • ध्यान-साधना मन को केंद्रित करती है।
  • संकल्प शक्ति भाग्य बदल सकती है।
  • कुंडलिनी जागरण चेतना को उच्च स्तर पर ले जाता है।

इसलिए, यदि हम डॉ. मर्फी की शिक्षा को भारतीय तंत्र-मार्ग के साथ जोड़कर देखें, तो यह स्पष्ट होता है कि हम अपने अवचेतन मन की शक्ति को पहचानकर, सही अभ्यास और विश्वास के साथ जीवन में हर वह चीज़ प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी हम आकांक्षा रखते हैं

मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

"दीवार में एक खिड़की रहती थी " नामक उपन्यास का अवलोकन।

 "दीवार में एक खिड़की रहती थी" उपन्यास विनोद कुमार शुक्ल द्वारा लिखा गया है।

उपन्यास का कथ्य:

यह उपन्यास एक आम आदमी के जीवन की साधारण लेकिन गहरी अनुभूतियों को व्यक्त करता है। लेखक ने इसमें सामाजिक व्यवस्थाओं, निजी सपनों, और मानवीय संवेदनाओं को बेहद सूक्ष्मता से उकेरा है।

कहानी एक ऐसे किराए के घर में रहने वाले व्यक्ति की है, जो अपनी सीमित दुनिया में रहते हुए भी एक अलग दृष्टि से जीवन को देखता है। घर की दीवार में बनी खिड़की उसके लिए सिर्फ एक वास्तुशिल्पीय संरचना नहीं, बल्कि एक नई दुनिया की झलक, संभावनाओं का प्रतीक और उसकी कल्पनाशीलता की उड़ान है।

मुख्य विषयवस्तु:

  1. साधारण जीवन की गहराइयाँ – लेखक ने आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छिपे सौंदर्य को उभारा है।
  2. कल्पना और वास्तविकता का द्वंद्व – खिड़की एक माध्यम है, जो पात्र को जीवन के अलग-अलग पहलुओं को देखने का अवसर देती है।
  3. संवेदनशील भाषा और शैली – विनोद कुमार शुक्ल की लेखन शैली बेहद सरल लेकिन प्रभावशाली है, जो पाठकों को उनके किरदारों से जोड़ती है।
  4. आधुनिक जीवन की विडंबना – समाज में मौजूद सीमाओं, बंदिशों और अकेलेपन को भी दर्शाया गया है।

निष्कर्ष:

"दीवार में एक खिड़की रहती थी" केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक गहरी दार्शनिक सोच और मानवीय संवेदनाओं का दस्तावेज़ है। इसमें लेखक ने यह दर्शाने की कोशिश की है कि हमारी सीमित दुनिया में भी एक खिड़की होती है, जो हमें बाहर की दुनिया से जोड़ती है और हमें सोचने, देखने और महसूस करने का एक नया दृष्टिकोण देती है।

सोमवार, 31 मार्च 2025

बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की आत्म कथा किन लोगों को ज्यादा पढ़नी चाहिए और क्यों?

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की आत्मकथा "Waiting for a Visa" और उनके जीवन से जुड़े अन्य साहित्य को विशेष रूप से निम्नलिखित लोगों को पढ़ना चाहिए:

1. छात्र और युवा

  • उनके संघर्षों और शिक्षा के प्रति समर्पण से प्रेरणा मिलेगी।
  • यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे कठिनाइयों के बावजूद आत्मनिर्भर बना जा सकता है।

2. समाज सुधारक और सामाजिक कार्यकर्ता

  • भारतीय समाज में जाति-व्यवस्था और भेदभाव को समझने में मदद मिलेगी।
  • सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में काम करने की प्रेरणा मिलेगी।

3. संविधान, कानून और प्रशासन से जुड़े लोग

  • संविधान निर्माण की प्रक्रिया और इसके मूल सिद्धांतों को समझने में सहायता मिलेगी।
  • कानून, अधिकारों और नीतियों से जुड़े विषयों पर गहरी जानकारी मिलेगी।

4. आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोग

  • उनके आर्थिक विचारों और नीतियों को समझने में मदद मिलेगी।
  • दलितों, वंचितों और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए बनाई गई नीतियों का विश्लेषण करने में सहायक होगी।

5. हर भारतीय नागरिक

  • जाति-व्यवस्था, समानता, शिक्षा और सामाजिक उत्थान के महत्व को समझने के लिए।
  • बाबा साहब के संघर्षों से सीख लेकर अपने जीवन में आत्म-सुधार और परिश्रम को अपनाने के लिए।

क्यों पढ़नी चाहिए?

  • अंबेडकर जी के जीवन से हमें संघर्ष, आत्मनिर्भरता, शिक्षा का महत्व और समाज सुधार की प्रेरणा मिलती है।
  • उनकी आत्मकथा एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जिससे भारत के सामाजिक ढांचे को समझा जा सकता है।
  • उनकी सोच और विचारधारा आज भी समानता, सामाजिक न्याय और मानवाधिकार के लिए प्रासंगिक है।

आप क्या सोचते हैं—आज के युवाओं के लिए अंबेडकर जी की आत्मकथा कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है?डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की और अपने समय के सबसे विद्वान व्यक्तियों में से एक बने। उनका शिक्षा सफर इस प्रकार रहा:

  • प्रारंभिक शिक्षा: 7 नवंबर 1900 को सतारा (महाराष्ट्र) के एक सरकारी स्कूल में उनका प्रवेश हुआ। दलित होने के कारण उन्हें कई प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ा।
  • मैट्रिक परीक्षा: 1907 में उन्होंने बंबई (अब मुंबई) के एलफिंस्टन हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। वह अपनी जाति के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
  • स्नातक: 1912 में बंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में बी.ए. किया।
  • उच्च शिक्षा (अमेरिका): 1913 में उन्हें बड़ौदा के गायकवाड़ राजा की सहायता से अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए भेजा गया। 1915 में उन्होंने वहाँ से एम.ए. किया और 1916 में अर्थशास्त्र में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution" थी।
  • ब्रिटेन में अध्ययन: 1916 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रवेश लिया, लेकिन बड़ौदा राज्य की सेवा में लौटने के कारण पढ़ाई अधूरी रह गई। बाद में 1921 में उन्होंने वहाँ से एम.एस.सी. (अर्थशास्त्र) किया और 1923 में अर्थशास्त्र में डी.एस.सी. (डॉक्टर ऑफ साइंस) की उपाधि प्राप्त की।
  • कानूनी शिक्षा: 1916-1917 में ग्रेज़ इन (लंदन) से कानून की पढ़ाई की और 1923 में बैरिस्टर बने।

डॉ. अंबेडकर की शिक्षा ने उन्हें एक महान अर्थशास्त्री, विधिवेत्ता और समाज सुधारक बनाया। उन्होंने अपने ज्ञान का उपयोग भारतीय संविधान बनाने और समाज में समानता स्थापित करने के लिए किया।डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की और अपने समय के सबसे विद्वान व्यक्तियों में से एक बने। उनका शिक्षा सफर इस प्रकार रहा:

  • प्रारंभिक शिक्षा: 7 नवंबर 1900 को सतारा (महाराष्ट्र) के एक सरकारी स्कूल में उनका प्रवेश हुआ। दलित होने के कारण उन्हें कई प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ा।
  • मैट्रिक परीक्षा: 1907 में उन्होंने बंबई (अब मुंबई) के एलफिंस्टन हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। वह अपनी जाति के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
  • स्नातक: 1912 में बंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में बी.ए. किया।
  • उच्च शिक्षा (अमेरिका): 1913 में उन्हें बड़ौदा के गायकवाड़ राजा की सहायता से अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए भेजा गया। 1915 में उन्होंने वहाँ से एम.ए. किया और 1916 में अर्थशास्त्र में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution" थी।
  • ब्रिटेन में अध्ययन: 1916 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रवेश लिया, लेकिन बड़ौदा राज्य की सेवा में लौटने के कारण पढ़ाई अधूरी रह गई। बाद में 1921 में उन्होंने वहाँ से एम.एस.सी. (अर्थशास्त्र) किया और 1923 में अर्थशास्त्र में डी.एस.सी. (डॉक्टर ऑफ साइंस) की उपाधि प्राप्त की।
  • कानूनी शिक्षा: 1916-1917 में ग्रेज़ इन (लंदन) से कानून की पढ़ाई की और 1923 में बैरिस्टर बने।

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  • प्रारंभिक शिक्षा: 7 नवंबर 1900 को सतारा (महाराष्ट्र) के एक सरकारी स्कूल में उनका प्रवेश हुआ। दलित होने के कारण उन्हें कई प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ा।
  • मैट्रिक परीक्षा: 1907 में उन्होंने बंबई (अब मुंबई) के एलफिंस्टन हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। वह अपनी जाति के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
  • स्नातक: 1912 में बंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में बी.ए. किया।
  • उच्च शिक्षा (अमेरिका): 1913 में उन्हें बड़ौदा के गायकवाड़ राजा की सहायता से अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए भेजा गया। 1915 में उन्होंने वहाँ से एम.ए. किया और 1916 में अर्थशास्त्र में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution" थी।
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Inner Engineering किताब के पढ़ने और उस पर अमल करने पर जीवन कितना सुधार सम्भव है?

"Inner Engineering" सद्गुरु द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है, जो आत्म-विकास और आध्यात्मिक जागरूकता पर आधारित है। इसे पढ़ने और अमल करने से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. मानसिक शांति और स्पष्टता:

  • यह पुस्तक विचारों की भीड़ को शांत करने में मदद करती है।
  • ध्यान और योग के माध्यम से मन को स्थिर रखने की विधियाँ सिखाती है।

2. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार:

  • योग और प्राणायाम से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है।
  • तनाव, चिंता, और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

3. भावनात्मक स्थिरता:

  • नकारात्मक भावनाओं (क्रोध, ईर्ष्या, भय) को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  • जीवन को अधिक आनंदपूर्ण और सहज बनाने में सहायक होती है।

4. रिश्तों में सुधार:

  • दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा विकसित होती है।
  • अहंकार को कम करके रिश्तों को अधिक मधुर बनाता है।

5. आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक उन्नति:

  • यह हमें अपने भीतर झाँकने और स्वयं को गहराई से समझने की प्रेरणा देती है।
  • जीवन के उद्देश्य को समझने और सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है।

6. सफलता और कार्यक्षमता में वृद्धि:

  • ध्यान और योग से फोकस और एकाग्रता बढ़ती है।
  • सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है।

निष्कर्ष:

यदि आप इस पुस्तक में दी गई शिक्षाओं को गहराई से समझकर अपने जीवन में लागू करते हैं, तो मानसिक, भावनात्मक और भौतिक स्तर पर गहरा परिवर्तन संभव है। यह जीवन को अधिक आनंदमय, शांतिपूर्ण और सार्थक बना सकती है।

क्या आप इसे पढ़ना शुरू कर चुके हैं, या इसकी किसी विशेष अवधारणा पर चर्चा करना चाहेंगे?

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रविवार, 30 मार्च 2025

इकिगाई किताब जीवन जीने के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? क्या प्रत्येक आदमी को पढ़ना चाहिए?

"इकिगाई" (Ikigai) एक जापानी अवधारणा है जो जीवन के उद्देश्य और आनंद को खोजने पर केंद्रित है। इसी नाम की किताब, "Ikigai: The Japanese Secret to a Long and Happy Life", लेखकों हेक्टर गार्सिया और फ्रांसिस मिरालेस द्वारा लिखी गई है।

यह किताब महत्वपूर्ण क्यों है?

1. जीवन का उद्देश्य समझाती है – यह किताब हमें यह जानने में मदद करती है कि हम किस चीज़ के लिए उत्साहित होते हैं और हमारा असली उद्देश्य क्या है।


2. संतुलित जीवन जीने की कला – यह हमें एक ऐसा जीवन जीने की प्रेरणा देती है जहाँ काम, जुनून, मिशन और प्रोफेशन संतुलित हों।


3. जापानी दीर्घायु संस्कृति से सीख – ओकिनावा द्वीप (जापान) के लोग औसत से ज्यादा लंबी और स्वस्थ जिंदगी जीते हैं। यह किताब उनके रहन-सहन, खान-पान और मानसिकता की गहराई से चर्चा करती है।


4. तनाव कम करने के उपाय – यह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए flow state (ध्यानमग्न अवस्था) को अपनाने पर ज़ोर देती है।


5. खुशहाल और सक्रिय जीवन के सूत्र – किताब बताती है कि किस तरह छोटी-छोटी आदतें हमें लंबे समय तक खुश और ऊर्जावान रख सकती हैं।



क्या हर व्यक्ति को पढ़नी चाहिए?

हाँ, हर व्यक्ति को यह किताब पढ़नी चाहिए, खासकर अगर:

वे जीवन में असंतोष महसूस कर रहे हैं।

उन्हें अपने करियर या जीवन के उद्देश्य को लेकर भ्रम है।

वे अधिक संतुलित और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं।

वे दीर्घायु और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना चाहते हैं।


अगर आप अपने जीवन में स्पष्टता, संतुलन और खुशी पाना चाहते हैं, तो "इकिगाई" एक बेहतरीन किताब साबित हो सकती है। क्या आपने इसे पढ़ा है या इसके बारे में सुना था?"इकिगाई" (Ikigai) एक जापानी अवधारणा है जो जीवन के उद्देश्य और आनंद को खोजने पर केंद्रित है। इसी नाम की किताब, "Ikigai: The Japanese Secret to a Long and Happy Life", लेखकों हेक्टर गार्सिया और फ्रांसिस मिरालेस द्वारा लिखी गई है।

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क्या हर व्यक्ति को पढ़नी चाहिए?

हाँ, हर व्यक्ति को यह किताब पढ़नी चाहिए, खासकर अगर:

वे जीवन में असंतोष महसूस कर रहे हैं।

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यह किताब महत्वपूर्ण क्यों है?

1. जीवन का उद्देश्य समझाती है – यह किताब हमें यह जानने में मदद करती है कि हम किस चीज़ के लिए उत्साहित होते हैं और हमारा असली उद्देश्य क्या है।


2. संतुलित जीवन जीने की कला – यह हमें एक ऐसा जीवन जीने की प्रेरणा देती है जहाँ काम, जुनून, मिशन और प्रोफेशन संतुलित हों।


3. जापानी दीर्घायु संस्कृति से सीख – ओकिनावा द्वीप (जापान) के लोग औसत से ज्यादा लंबी और स्वस्थ जिंदगी जीते हैं। यह किताब उनके रहन-सहन, खान-पान और मानसिकता की गहराई से चर्चा करती है।


4. तनाव कम करने के उपाय – यह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए flow state (ध्यानमग्न अवस्था) को अपनाने पर ज़ोर देती है।


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क्या हर व्यक्ति को पढ़नी चाहिए?

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वे अधिक संतुलित और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं।

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क्या Rich dad Poor Dad किताब से नए बेरोजगारों की फौज को कुछ मदद मिल सकता है? अगर मदद मिल सकता है तो उसे स्कूल के सिलेबस में डाला जाने से कुछ बदलाव हो सकता है?

1. नौकरी के बजाय संपत्ति बनाने पर ध्यान – यह किताब सिखाती है कि सिर्फ नौकरी करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि संपत्ति (जैसे रियल एस्टेट, बिजनेस, और निवेश) बनाना जरूरी है।


2. पैसे के लिए काम करने के बजाय पैसा अपने लिए काम करवाना – बेरोजगार युवा यदि इस मानसिकता को समझें, तो वे खुद के लिए नए अवसर बना सकते हैं।


3. आर्थिक शिक्षा की जरूरत – यह किताब बताती है कि स्कूलों में हमें पैसे की शिक्षा नहीं दी जाती, जबकि यह जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।


4. जोखिम लेने और सीखने की आदत – पारंपरिक सोच (सिर्फ नौकरी करने की) से बाहर निकलकर नया सीखना और अपने पैसों को सही जगह लगाना जरूरी है।



क्या इसे स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए?

अगर इसे स्कूली शिक्षा में जोड़ा जाए, तो इससे बच्चों में बचपन से ही पैसे की समझ विकसित होगी। वे सिर्फ नौकरी की मानसिकता तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि खुद के लिए रोजगार के नए अवसर तलाशने के लिए तैयार होंगे।

अगर भारत में इसे स्कूलों में पढ़ाया जाए, तो संभावित बदलाव ये हो सकते हैं:
✅ युवा नौकरी मांगने की बजाय खुद के लिए नौकरियां पैदा कर सकते हैं।
✅ स्टार्टअप और उद्यमिता (entrepreneurship) को बढ़ावा मिलेगा।
✅ लोग पैसे और निवेश को बेहतर समझ पाएंगे, जिससे आर्थिक स्थिरता बढ़ेगी।

हालांकि, पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में ऐसे बदलाव लाने में समय लग सकता है, क्योंकि यह सरकार और शिक्षा नीतियों से जुड़ा विषय है। लेकिन अगर युवाओं को व्यक्तिगत रूप से यह किताब पढ़ने और अमल करने के लिए प्रेरित किया जाए, तो इसका बड़ा असर हो सकता है।
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आपका क्या विचार है?

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

team dream 11

बहुत अच्छा सवाल है! Dream11 में कई बार प्लेयर के पिछले रिकॉर्ड मायने रखते हैं, लेकिन कभी-कभी आपको "Current Conditions", "Form in Nets", "Pitch Report", "Batting Order", और "X-Factor" खिलाड़ियों पर ध्यान देना चाहिए — न कि सिर्फ पुराने आँकड़ों पर।

यहाँ मैं आपको एक ऐसी टीम का उदाहरण दे रहा हूँ, जहाँ हम रिकॉर्ड से ज्यादा Current Match के लिए Potential पर ध्यान देंगे:

Format: T20 (Dream11) — Balanced Risky Team (GL के लिए अच्छा)

Team Example:

Wicket Keeper:

  1. Philip Salt (Aggressive Opener, Impact Player)
  2. KS Bharat (अगर Playing XI में हो तो, कम से कम चुने जाने वाला)

Batsmen:

  1. Rinku Singh (Finisher, कम चुना जाता है पर Impact करता है)
  2. Tilak Varma (Middle Order, Left Hander)
  3. Abhishek Sharma (Aggressive Opener, Risky but High Reward)

All Rounders:

  1. Washington Sundar (Bat + Ball दोनों कर सकता है, लोग ignore करते हैं)
  2. Riyan Parag (Recent form में अच्छा कर रहा है, पर पिछला रिकॉर्ड average)

Bowlers:

  1. Ravi Bishnoi (Spin-friendly pitch पर lethal)
  2. Arshdeep Singh (Death overs specialist)
  3. Mukesh Kumar (Middle overs में wickets लेने वाला)
  4. Mayank Markande (Wrist spinner, कम % में चुना जाता है)

Captain & Vice-Captain:

  • C: Rinku Singh (अगर बल्लेबाजी मिले तो मैच पलट सकता है)
  • VC: Washington Sundar (Bat + Ball दोनों से पॉइंट्स)

इस टीम की Strategy:

  • Big names नहीं, बल्कि Current Match Impact Players
  • ऐसे खिलाड़ी जो कम % में चुने जाते हैं, ताकि अगर चले तो Rank ऊपर जाये।
  • Pitch report, Toss के बाद इस टीम को और बेहतर किया जा सकता है।

अगर चाहो तो मैं आज के किसी Actual Match के लिए भी इसी स्टाइल की Team बना दूँ।
बोलो, बना दूँ?

क्रोध का शरीर में असर

क्रोध (Anger) के समय हमारे मस्तिष्क और शरीर में कुछ प्रमुख रसायन (Neurochemicals और Hormones) रिलीज़ होते हैं, जो तुरंत शारीरिक और मानसिक प...